राजस्थान में 2023 के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ( AIMIM ) चुनावी बिगुल बजाने जा रही है । ओवैसी के राजस्थान में आने का बड़ा कारण यहां का बढ़ता मुस्लिम वोट बैंक है इसके लिए हाल ही में AIMIM ने मुस्लिम वोटो में एक सर्वे भी करवाया था , राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनावो में मुस्लिम वोटों की तादात लगभग 13 % तक होगी जिनका प्रभाव राजस्थान के 18 जिलों की 40 विधानसभा सीटों पर होगा। अलवर ग्रामीण, रामगढ़ ,राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ ,तिजारा,जैसलमेर ,पोकरण,डीडवाना, मकराना, नावां,कामां व नगर विधानसभा क्षेत्र प्रमुख है जिनमे मुस्लिम वोटों की संख्या लगभग 18 - 20 % है इसके साथ शिव, चौहटन,सीकर, फतेहपुर, दांतारामगढ़ व लक्ष्मणगढ़,चूरू, सरदार शहर,तारानगर,अजमेर नॉर्थ, पुष्कर , मसूदा,कोटा नॉर्थ, लाड़पुरा ,रामगंज मंडी,सवाईमाधोपुर,गंगापुर,हवा महल,आदर्श नगर ,किशनपोल, झुंझुनूं, मंडावा,नवलगढ़,टोंक,सूरसागर,खाजूवाला, बारां-अटरू, करौली,धौलपुर विधानसभा में मुस्लिम वोट जीत हार में एक बड़ी भूमिका निभाते है।
ऐसे में बड़ा सवाल है AIMIM का राजस्थान की राजनीती में एंट्री किस पार्टी पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा ?
AIMIM राजस्थान में कांग्रेस का समीकरण बिगड़ सकता है 2018 के विधानसभा चुनावो में इन 40 में से 29 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की 7 भाजपा 3 बसपा और 1 निर्दलीय के खाते में गई ,बसपा और निर्दलीय के कांग्रेस के समर्थन से अब 33 पर कांग्रेस का कब्जा है ऐसे में 2023 के रण में ओवैसी की एंट्री कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है। 2018 में कांग्रेस ने 39 .3% वोट के साथ 100 सीटों पर जीत हासिल की जबकि भाजपा 38.8% वोट के साथ 73 सीट जीत सकी ,सिर्फ 0.50% वोट के अंतर् भाजपा अपनी सरकार बनाने से चूक गई ऐसे में 13 % वोट जो की कांग्रेस का एक बड़ा वोट बैंक मन जाता है, कांग्रेस का समीकरण बिगड़ सकते है।
हाल में मध्यप्रदेश में निकाय चुनावों में ओवैसी की पार्टी ने 7 सीटें ही जीती लेकिन कई सीटों पर कांग्रेस की हार का कारण बन ऐसे में ओवैसी की राजस्थान में एंट्री से कई सीटों पर मुस्लिम वोट बंटने से कांग्रेस के समीकरण बदल सकते है। और इन 40 सीटों में से 2018 में कई सीटों पर जीत हार का अंतर काफी कम था जैसे जैसलमेर की पोकरण विधानसभा में कांग्रेस के शाले मोहम्मद भाजपा के प्रताप पुरी से 872 वोटों से जीते थे। हालांकि ओवैसी जानते है की सिर्फ एक समुदाय के भरोसे तीसरी ताकत बनना आसान नहीं इसीलिए ओवैसी मुस्लिम, दलित, आदिवासी और किसान को साथ लेकर सोशल इंजीनियरिंग की बात करते हैं।
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