Friday 16 September 2022

राजस्थान के रण में ओवैसी का दम


राजस्थान में 2023 के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ( AIMIM  ) चुनावी बिगुल बजाने जा रही है । ओवैसी के राजस्थान में आने का बड़ा कारण यहां का बढ़ता मुस्लिम वोट बैंक है इसके लिए हाल ही में AIMIM ने मुस्लिम वोटो में एक सर्वे भी करवाया था , राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनावो में मुस्लिम वोटों  की तादात  लगभग 13 % तक होगी जिनका प्रभाव राजस्थान के 18 जिलों की 40 विधानसभा सीटों पर होगा। अलवर ग्रामीण, रामगढ़ ,राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ ,तिजारा,जैसलमेर ,पोकरण,डीडवाना, मकराना, नावां,कामां व नगर विधानसभा क्षेत्र प्रमुख है जिनमे मुस्लिम वोटों की संख्या लगभग  18 - 20 % है इसके साथ शिव, चौहटन,सीकर, फतेहपुर, दांतारामगढ़ व लक्ष्मणगढ़,चूरू, सरदार शहर,तारानगर,अजमेर नॉर्थ, पुष्कर , मसूदा,कोटा नॉर्थ, लाड़पुरा ,रामगंज मंडी,सवाईमाधोपुर,गंगापुर,हवामहल,आदर्श नगर ,किशनपोल, झुंझुनूं, मंडावा,नवलगढ़,टोंक,सूरसागर,खाजूवाला, बारां-अटरू, करौली,धौलपुर विधानसभा में मुस्लिम वोट जीत हार में एक बड़ी भूमिका निभाते है। 

ऐसे में बड़ा सवाल है AIMIM का राजस्थान की राजनीती में एंट्री किस पार्टी पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा ?
AIMIM राजस्थान  में कांग्रेस का समीकरण बिगड़ सकता है 2018 के विधानसभा चुनावो में इन 40 में से 29  पर कांग्रेस ने जीत हासिल  की 7 भाजपा 3  बसपा और 1  निर्दलीय के खाते में गई ,बसपा और निर्दलीय के कांग्रेस के समर्थन से अब 33 पर कांग्रेस का कब्जा है ऐसे में 2023 के रण में ओवैसी की एंट्री कांग्रेस  का खेल बिगाड़ सकती है। 2018 में कांग्रेस ने 39 .3% वोट के साथ 100 सीटों पर जीत हासिल की जबकि भाजपा 38.8% वोट के साथ 73 सीट जीत सकी ,सिर्फ 0.50% वोट के अंतर् भाजपा अपनी सरकार बनाने से चूक गई ऐसे में 13 % वोट जो की कांग्रेस का एक बड़ा वोट बैंक मन जाता है, कांग्रेस का समीकरण बिगड़ सकते है। 

हाल में मध्यप्रदेश में निकाय चुनावों में ओवैसी की पार्टी ने 7 सीटें ही जीती लेकिन कई सीटों पर कांग्रेस की हार का कारण बन ऐसे में ओवैसी की राजस्थान में एंट्री से कई सीटों पर मुस्लिम वोट बंटने से कांग्रेस के समीकरण बदल सकते है। और इन 40  सीटों में से 2018 में कई सीटों पर जीत हार का अंतर काफी कम था जैसे जैसलमेर की पोकरण विधानसभा में कांग्रेस के शाले मोहम्मद भाजपा के प्रताप पुरी से 872 वोटों से जीते थे। हालांकि ओवैसी जानते है की सिर्फ एक समुदाय के भरोसे तीसरी ताकत बनना आसान नहीं  इसीलिए ओवैसी मुस्लिम, दलित, आदिवासी और किसान को साथ लेकर सोशल इंजीनियरिंग की बात करते हैं। 

Tuesday 13 September 2022

शाह की सियासी बिसात में राजस्थान का रण

 हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजस्थान यात्रा की,जहां उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की राज्य कार्य समिति की बैठक को संबोधित किया इससे एक बात स्पष्ट है  पार्टी नेतृत्व राजस्थान मिशन 2023 को बहुत गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि राजस्थान कोई छोटा राज्य नहीं है। यह भारतीय राजनीतिक शतरंज की बिसात में मायने रखता ह।  भाजपा 2023  में  2013 दोहराना चाहती है, जब भाजपा ने 163 सीटें जीतीं, और 45% वोट मिले और सत्तारूढ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) 21 सीटों पर सिमट गई थी जबकि 2018  में भाजपा 38.8 % वोट के साथ 73  सीटे जीत पाई ।मारवाड़ रैल्ली के साथ  दिवाली के बाद पूरे राजस्थान में भाजपा सम्मेलन और रैलियां करने का प्लान तैयारी कर रही है ।इन रैलियों और सम्मेलन में पीएम मोदी और नड्‌डा के आने के की भी संभावना है। लेकिन 2013  दोहराने के लिए भाजपा को राज्य इकाई में अंदरूनी कलह को भी खत्म करनी होगी ।केंद्रीय नेतृत्व भी मिशन 2023 में  राज्य इकाई में चल रहे मतभेद को बड़ी रुकावट मान रहा है । और  प्रदेश प्रभारी इशारों में संकेत दे चुके हैं कि राजस्थान में भाजपा मोदी के चेहरे को आगे रख विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। इस प्लान में प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं के आपसी मतभेद मिटाने और उन्हें जमीनी स्तर पर काम करने को कहा जाएगा। ऐसा नहीं होने पर अनुशासनहीनता के तौर लिया जाएगा।


 पिछले चार वर्षों में, सात विधान सभा उपचुनावों में से, भाजपा छह हार गई। इससे केंद्रीय नेतृत्व नाखुश है और भाजपा की राज्य इकाई में भी बेचैनी है , केंद्रीय नेतृत्व ने सतीश पूनिया को अध्यक्ष नियुक्त किया, लेकिन अब तक ये  प्रयोग सफल नहीं हुआ और केंद्रीय नेतृत्व अब कोई जोखिम नहीं लेना चाहता और दूसरी तरफ  राजस्थान में कोई भी इस बात से असहमत नहीं हो सकता कि राजे एक शीर्ष नेता हैं और अमित शाह के दौरे के बाद, ये एक बात स्पष्ट हो गई है कि केंद्रीय नेतृत्व  2023 के विधानसभा चुनाव तक वसुंधरा राजे को नजरअंदाज नहीं कर सकता हालांकि, सीएम फेस को लेकर अमित शाह भी पूरी तस्वीर साफ नहीं कर पाए शयद केंद्रीय नेतृत्व अभी किसी को नाराज रख कर  कोई जोखिम नहीं लेना चाहता इसीलिए  सभी को एकजुट रखने के लिए अमित शाह ने संकेत दिए हैं कि पार्टी विधानसभा चुनाव 2023 में पीएम मोदी के चेहरे को ही जनता के सामने रखकर वोट मांगेगी।भाजपा ने पहले भी कई राज्यों में सीएम चेहरा घोषित नहीं किया, इसके बावजूद चुनावी सफलता मिली।


केंद्रीय नेतृत्व  राजस्थान में भी  उत्तरप्रदेश की तरह  दो रणनीति पर काम कर रही है। इसमें पार्टी के पदाधिकारियों से लेकर बूथ कार्यकर्ता और वोटर तक को साधने का प्लान तैयार किया गया है। इसके साथ ही यूपी की तर्ज पर बिना सीएम फेस के ही चुनाव लड़ेगी। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा ही सामने रखा जाएगा। भाजपा के इंटरनल सर्वे व फीडबैक के आधार पर प्रदेश की 200 सीटें तीन कैटेगरी में बांटी है। मोदी-शाह का फोकस 150 सीट पर रहेगा। इसके बावजूद सरकार बनाने के लिए जरूरी 120 सीटें भाजपा उम्मीदवार कैसे जीते, प्लान में यह अहम रहेगा और हो सकता है नतीजों के बाद मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए कोई चौकाने वाला फेंसला आये जैसा की मोदी-शाह की जोड़ी में अक्सर होता आया है।  

राजस्थान के रण में ओवैसी का दम

राजस्थान में 2023 के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ( AIMIM  )...